04-02-2001  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

समय प्रमाण स्वराज्य अधिकारी बन सर्व रूहानी साधन तीव्रगति से कार्य में लगाओ

आज बापदादा विश्व के सर्व तरफ के अपने स्वराज्य अधिकारी बच्चों की राज्य सभा देख रहे हैं। हर एक स्वराज्य अधिकारी, पवित्रता की लाइट के ताजधारी, अधिकार की स्मृति के तिलकधारी, अपने-अपने भृकुटि के अकाल तख्तनशीन दिखाई दे रहे हैं। इस समय जितना स्वराज्य अधिकार अनुभव करते हो उतना ही भविष्य विश्व राज्य अधिकारी है ही हैं। ‘‘मैं कौन’’ वा ‘‘मेरा भविष्य क्या?’’ वह अब के स्वराज्य की स्थिति द्वारा स्वयं ही देख सकते हो।

बापदादा हर एक बच्चे के सदा स्वराज्य की स्थिति को देख रहे थे। निरन्तर हर कर्म करते हुए, लौकिक-अलौकिक कार्य करते हुए स्वराज्य अधिकारी का नशा कितना समय और किस परसेन्टेज में रहता है? क्योंकि कई बच्चे अपने स्वराज्य के स्मृति को संकल्प रूप में याद करते हैं - मैं आत्मा अधिकारी हूँ, एक है संकल्प में सोचना। बार-बार स्मृति को रिफ्रेश करना - मैं हूँ। दूसरा है - अधिकार के स्वरूप में स्वयं को अनुभव करना और इन कर्मेन्द्रियों रूपी कर्मचारी तथा मन-बुद्धि-संस्कार रूपी सहयोगी साथियों पर राज्य करना, अधिकार से चलाना। जैसे आप सभी बच्चे अनुभवी हो कि हर समय बापदादा श्रीमत पर चला रहा है और आप सभी श्रीमत प्रमाण चल रहे हो। चलाने वाला चला रहा है, चलने वाले चल रहे हो। ऐसे, हे स्वराज्य अधिकारी आत्मायें, क्या आपके स्वराज्य में आपकी सर्व कर्मेन्द्रियाँ अर्थात् कर्मचारी आपके मनबुद्धि- संस्कार सहयोगी साथी सभी आपके ऑर्डर में चल रहे हैं? एक-दो कर्मेन्द्रियाँ थोड़ा नाज़-नखड़ा तो नहीं दिखाती? आपका राज्य लॉ और ऑर्डर के बजाए लव और लॉ में यथार्थ रीति से चल रहा है? क्या समझते हैं? चल रहे हैं या थोड़ी आनाकानी करते हैं? जब कहते ही हो मेरा हाथ, मेरे संस्कार, मेरी बुद्धि, मेरा मन, तो मेरे के ऊपर मैं का अधिकार है? कि कब मेरा अधिकारी बन जाता, कब मैं अधिकारी बन जाती? समय प्रमाण हे स्वराज्य अधिकारी, अभी सदा और सहज अकाल तख्तनशीन बनो तब ही अन्य आत्माओं को बाप द्वारा जीवनमुक्ति और मुक्ति का अधिकार तीव्रगति से दिला सकेंगे।

समय की पुकार अब तीव्रगति और बेहद की है। छोटी सी रिहर्सल देखी, सुनी। एक ही साथ बेहद का नक्शा देखा ना! चिल्लाना भी बेहद, मरना भी बेहद, मरने वालों के साथ-साथ जीने वाले भी अपने जीवन में परेशानी से मर रहे हैं। ऐसे समय पर आप स्वराज्य अधिकारी आत्माओं का क्या कार्य है? चेक करो जैसे स्थूल साधनों के लिए बताते हैं कि भूकम्प आवे तो यह करना, तूफान आवे तो यह करना, आग लगे तो यह करना, वैसे आप श्रेष्ठ आत्माओं के पास जो साधन हैं - सर्व शक्तियाँ, योग का बल, स्नेह का चुम्बक, यह सब साधन समय के लिए तैयार हैं? सर्व शक्तियाँ हैं? किसको शान्ति की शक्ति चाहिए लेकिन आप और कोई शक्ति दे दो तो वह सन्तुष्ट होगी? जैसे किसको पानी चाहिए और आप उसको 36 प्रकार के भोजन दे दो तो क्या वह सन्तुष्ट होगा? तो एवररेडी बनना सिर्फ अपने अशरीरी बनने के लिए नहीं। वह तो बनना ही है। लेकिन जो साधन स्वराज्य अधिकार से प्राप्त हुए हैं, परमात्म वर्से में मिले हैं वह सब अधिकार एवररेडी हैं? ऐसे तो नहीं जैसे समाचारों में सुनते हो कि जो मशीनरी इस समय चाहिए वह फारेन से आने के बाद कार्य में लगाया गया। तो साधन एवररेडी नहीं रहे ना! सर्व साधन समय पर कार्य में नहीं लगा सके। कितना नुकसान हो गया!

तो हे विश्व-कल्याणी, विश्व-परिवर्तक आत्मायें सर्व साधन एवररेडी हैं? सर्वशक्तियाँ आपके ऑर्डर में हैं? ऑर्डर किया अर्थात् संकल्प किया - निर्णय शक्ति। तो सेकण्ड से भी कम समय में निर्णय शक्ति हाजर हो जाए, कहे स्वराज्य अधिकारी हाजर! ऐसे ऑर्डर में है? या एक मिनट अपने में लाने में लगेगा फिर दूसरे को दे सकेंगे? अगर समय पर किसको जो चाहिए वह नहीं दे सके तो क्या होगा? तो सभी बच्चों के दिल में यह संकल्प तो चल ही रहा है - आगे क्या होना है और क्या करना है? होना तो बहुत कुछ है। सुनाया ना यह तो रिहर्सल है। यह 6 मास के तैयारी की घण्टी बजी है, घण्टा नहीं बजा है। पहले घण्टा बजेगा, फिर नगाड़ा बजेगा। डरेंगे? थोड़ा- थोड़ा डरेंगे? शक्ति-स्वरूप आत्माओं का क्या स्वरूप दिखाया है? शक्तियों को (शक्ति स्वरूप में पाण्डव भी आ गये तो शक्तियाँ भी आ गई) सदा शक्तियों को कोई को 4 भुजा, कोई को 6 भुजा, कोई को 8 भुजा, कोई को 16 भुजा, साधारण नहीं दिखाते हैं। यह भुजायें सर्व शक्तियों का सूचक हैं। इसलिए सर्वशक्तिवान द्वारा प्राप्त अपनी शक्तियों को इमर्ज करो। इसके लिए यह नहीं सोचो कि समय आने पर इमर्ज हो जायेंगी लेकिन सारे दिन में स्वयं प्रति भिन्न-भिन्न शक्तियाँ यूज करके देखो। सबसे पहला अभ्यास स्वराज्य अधिकार सारे दिन में कहाँ तक कार्य में लगता है? मैं तो हूँ ही आत्मा मालिक, यह नहीं। मालिक होके ऑर्डर करो और चेक करो कि हर कर्मेन्द्रियाँ मुझ राजा के लव और लॉ में चलते हैं? ऑर्डर करें - ‘मनमनाभव’ और मन जाये निगेटिव और वेस्ट थाट्स में, क्या यह लव और लॉ रहा? ऑर्डर करें मधुरता स्वरूप बनना है और समस्या अनुसार, परिस्थिति अनुसार क्रोध का महारूप नहीं लेकिन सूक्ष्म रूप में भी आवेश वा चिड़चिड़ापन आ रहा है, क्या यह ऑर्डर है? ऑर्डर में हुआ?

ऑर्डर करें हमें निर्मान बनना है और वायुमण्डल अनुसार सोचो कहाँ तक दबकर चलेंगे, कुछ तो दिखाना चाहिए। क्या मुझे ही दबना है? मुझे ही मरना है! मुझे ही बदलना है? क्या यह लव और ऑर्डर है? इसलिए विश्व के ऊपर, चिल्लाने वाले दु:खी आत्माओं के ऊपर रहम करने के पहले अपने ऊपर रहम करो। अपना अधिकार सम्भालो। आगे चल आपको चारों ओर सकाश देने का, वायब्रेशन देने का, मन्सा द्वारा वायुमण्डल बनाने का बहुत कार्य करना है। पहले भी सुनाया कि अभी तक जो जो जहाँ तक सेवा के निमित्त हैं, बहुत अच्छी की है और करेंगे भी लेकिन अभी समय प्रमाण तीव्रगति और बेहद सेवा की आवश्यकता है। तो अभी पहले हर दिन को चेक करो ‘स्वराज्य अधिकार’ कहाँ तक रहा? आत्मा मालिक होके कर्मेन्द्रियों को चलाये। स्मृति स्वरूप रहे कि मैं मालिक इन साथियों से, सहयोगियों से कार्य करा रहा हूँ। स्वरूप में नशा रहे तो स्वत: ही यह सब कर्मेन्द्रियाँ आपके आगे जी हाजिर, जी हजूर स्वत: ही करेंगी। मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। आज व्यर्थ संकल्प को मिटाओ, आज संस्कार को मिटाओ, आज निर्णय शक्ति को प्रगट करो। एक धक से सब कर्मेन्द्रियाँ और मन-बुद्धि-संस्कार जो आप चाहते हैं, वह करेंगी। अभी कहते हैं नाबाबा चाहते तो यह हैं लेकिन अभी इतना नहीं हुआ है...फिर कहेंगे जो चाहते हैं वह हो गया, सहज। तो समझा क्या करना है? अपने अधिकार की सिद्धियों को कार्य में लगाओ। आर्डर करो संस्कार को। संस्कार आपको क्यों आर्डर करता? संस्कार नहीं मिटता, क्यों? बंधा हुआ है संस्कार आपके ऑर्डर में। मालिकपन लाओ। तो औरों के सेवा की बहुत-बहुत-बहुत-बहुत आवश्यकता है। यह तो कुछ भी नहीं है, बहुत नाजुक समय आना ही है। ऐसे समय पर आप उड़ती कला द्वारा फरिश्ता बन चारों ओर चक्कर लगाते, जिसको शान्ति चाहिए, जिसको खुशी चाहिए, जिसको सन्तुष्टता चाहिए, फरिश्ते रूप में सकाश देने का चक्कर लगायेंगे और वह अनुभव करेंगे। जैसे अभी अनुभव करते हैं ना, पानी मिल गया बहुत प्यास मिटी। खाना मिल गया, टेन्ट मिल गया, सहारा मिल गया। ऐसे अनुभव करेंगे फरिश्तों द्वारा शान्ति मिल गई, शक्ति मिल गई, खुशी मिल गई। ऐसे अन्त:वाहक अर्थात् अन्तिम स्थिति, पावरफुल स्थिति आपका अन्तिम वाहन बनेगा। और चारों ओर चक्कर लगाते सबको शक्तियाँ देंगे, साधन देंगे। अपना रूप सामने आता है? इमर्ज करो। कितने फरिश्ते चक्कर लगा रहे हैं! सकाश दे रहे हैं, तब कहेंगे जो आप एक गीत बजाते हो ना - शक्तियाँ आ गई.... शक्तियों द्वारा ही सर्वशक्तिवान स्वत: ही सिद्ध हो जायेगा। सुना।

जो अब तक किया, जो चला वह समय प्रमाण अच्छे ते अच्छा हुआ। अब आगे और अच्छे ते अच्छा होना ही है। अच्छा। घबराये तो नहीं। समाचार सुनके, देखके घबराये? यह तो कुछ नहीं है। आपके पास सब कुछ है और यह कुछ भी नहीं है। लेकिन फिर भी आपके भाई बहिनें हैं इसलिए उन्हों की सेवा करना भी अच्छा है। अभी राज्य अधिकार, अकालतख्त में बैठे रहो, नीचे ऊपर नहीं आओ फिर देखो गवर्मेन्ट को भी साक्षात्कार होगा - यही है, यही है, यही है! तख्त से उतरो नहीं, अधिकार छोड़ो नहीं, अधिकार हर समय चलाओ, स्व पर, दूसरों पर नहीं। दूसरे पर नहीं चलाना। अच्छा।

नये-नये बच्चे भी बहुत आये हैं। वृद्धि तो होनी ही है। जो इस कल्प में, इस बारी पहले बारी आये हैं वह हाथ उठाओ। अच्छा किया। हिम्मत रखके पहुँच गये तो पहुँच गये ना। जो बैठ गये, वह बैठ गये और हुआ कुछ भी नहीं। हिम्मत बहुत आवश्यक है। कोई भी कार्य में हिम्मत है तो समझो सफलता है। हिम्मत कम सफलता कम। इसलिए हिम्मत और निर्भय, भय में नहीं आना, यह क्या हो रहा है। मर रहा है कोई तो वह मर रहा है, भय आपको आ रहा है। निर्भय। ठीक है उसको शान्ति का सहयोग दो, उस आत्मा को रहमदिल की भावना से सहयोग दो, भय में नहीं आओ। भय सबसे बड़े में बड़ा भूत है। और भूत निकल सकते हैं, भय का भूत बहुत मुश्किल निकलता है। किसी भी बात का भय, सिर्फ मरने वालों का भय नहीं, कई बातों का भय होता है। जो अनेक प्रकार के भय हैं, अपनी कमज़ोरी के कारण भी भय होता है। उन सबमें निर्भय बनने का जो सहज साधन है, वह है - ‘सदा साफ दिल, सच्ची दिल’। तो भय कभी नहीं आयेगा। जरूर कोई दिल में बात समाई हुई होती है जिससे भय होता है। साफ दिल, सच्ची दिल तो साहेब राजी और सर्व भी राजी।

अच्छा - नये-नये आने वाले बच्चों को, नयी जीवन में परमात्म भाग्य को प्राप्त करने की मुबारक हो। अच्छा। फारेन के भी बहुत आये हैं। फारेन ग्रुप हाथ उठाओ। (करीब 700 आये हैं) भले पधारे। वेलकम।

महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश की सेवा है:- महाराष्ट्र वाले हाथ उठाओ। (4 हजार आये हैं) तो 4 हजार को 4 पद्म बार मुबारक हो। अच्छा किया है, हर ग्रुप की अपनी-अपनी सेवा की शोभा है क्योंकि सेवा के पहले तो परिवार के सामने नजदीक आने का गोल्डन चांस मिलता है। चांस मिलता है ना? नहीं तो कौन पूछेगा महाराष्ट्र है या आन्ध्रा है? लेकिन विशेष सेवा का चांस लेने से परिवार के, दादियों के, दादाओं के सामने आते हैं। और खुशी भी होती है, क्यों खुशी होती है, कारण? देखो सेन्टर पर सेवा करते हो कितनों की? चलो ज्यादा-में-ज्यादा 50-100, और यहाँ जब सेवा करते हो तो हजारों की सेवा करते हो और हजारों की सेवा के रिटर्न में जो सबकी दुआयें मिलती हैं ना, बहुत अच्छी सेवा की, बहुत अच्छी सेवा की। यह दुआयें निकलती हैं। वह दुआयें एक तो वर्तमान समय में खुशी दिलाती हैं और दूसरा जमा भी होती हैं। डबल फायदा है। इसलिए जिन्होंने सेवा की तो सेवा का मेवा खुशी भी मिली और जमा का खाता भी जमा हुआ। डबल फायदा हो गया ना! अभी मैजारिटी सब जोन अच्छा सीख भी गये हैं, अभ्यास हो गया है। अच्छा किया, मुबारक है। (100 कुमारियों का समर्पण है) अच्छा - 100 कुमारियाँ उठो। सभी देखो। जहाँ भी टी.वी. है वहाँ दिखाओ। अच्छा है, वैसे तो समर्पण तो हैं ही। लेकिन समर्पण का पक्का स्टैम्प लगना है। यह आलमाइटी गवर्मेन्ट का स्टैम्प मिट नहीं सकेगा। पक्का है ना! पक्का! पक्का? जो समझते हैं बहुत-बहुत-बहुत पक्का है वह ऐसे हाथ हिलाओ। बहुत पक्का? महाराष्ट्र है। कोई महानता तो दिखायेगा ना! बहुत अच्छा, बापदादा के तरफ से बहुत-बहुत अरब-खरब बार मुबारक हो, बधाई हो। अच्छा।

अभी एक सेकण्ड में फरिश्ता बन विशेष जहाँ यह अर्थ क्वेक हुई है, उन चारों तरफ फरिश्ता बन उड़ती कला द्वारा शान्ति, शक्ति और सन्तुष्टता की सकाश फैलाके आओ। चक्कर लगाकर आओ एक सेकण्ड में। सबके सब चक्कर लगाके आओ। अच्छा।

चारों ओर के देश और विदेश के फरिश्ते रूप में विराजमान, स्व-अधिकारी बच्चों को, सदा लव और लॉ से अपने सहयोगी, सूक्ष्म वा स्थूल सहयोगी साथियों को चलाने वाले, सदा बापदादा द्वारा प्राप्त रूहानी साधनों को एवररेडी बनाने वाले, मैं आत्मा राजा बन राज्य अधिकार का अनुभव करने वाले, सदा उड़ती कला द्वारा फरिश्ते रूप से चारों ओर सकाश देने वाले शक्ति स्वरूप आत्माओं को सदा साफ दिल, सच्ची दिल द्वारा निर्भय, निराकारी स्थिति में अनुभव करने वाले विश्व-कल्याणी, विश्व-परिवर्तक आत्माओं को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।

दादियों से - आप सबको खुशी हो रही है ना, हमारी निमित्त दादियाँ, दादे सामने आये हैं तो खुशी है ना! कि आप भी आने चाहते हैं? और ही सामने अच्छा है। सामने वालों को ज्यादा देखते हैं। यहाँ तो ऐसे करना पड़ेगा। और सामने वालों को तो बार-बार देख रहे हैं।

अच्छा - (जगदीश भाई से) सभी ठीक है। सबसे अच्छी बात है अपने को शरीर सहित बाप के हवाले कर लिया। वैसे तो बाप को अपना सब दे दिया है। दे दिया है ना कि देना है? आप लोगों ने, निमित्त आत्माओं ने तो दिया है, तब आपको साकार रूप में फालो कर रहे हैं। साकार रूप में महारथियों को देख सबको शक्ति मिलती है। तो यह सारा ग्रुप क्या है? शक्ति का स्त्रोत्र है। है ना!

(दादी जानकी कह रही हैं चलाने वाला बहुत रमजबाज है) रमजबाज नहीं होता तो इतनी वृद्धि कैसे होती। बाप कहते हैं चलने वाले भी बाप से ज्यादा चतुरसुजान हैं।

अच्छा - सभी सदा एक शब्द दिल से गाते रहते - ‘‘मेरा बाबा’’। यह गीत गाना सबको आता है ना! मेरा बाबा, यह गीत गाना आता है? सहज है ना! मेरा कहा और अपना बना लिया। बाप कहते हैं, बच्चे बाप से भी होशियार हैं। क्यों? भगवान को बाँध लिया है। (दादी जानकी से) बाँधा है ना! तो बाँधने वाले शक्तिशाली हुए या बँधने वाला? कौन शक्तिशाली हुए? बाँधने वाले ने सिर्फ तरीका आपको सुना दिया कि ऐसे बाँधो तो बँध जाऊँगा।

अच्छा। ओम् शान्ति।